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मालवणी गेट नं. 8 की हकीकत: गली-गली कचरे का ढेर, लोग बीमार… नेताओं की बेरुखी उजागर |

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मुंबई, मलाड (पश्चिम) – तृप्ति प्रमाण

मालवणी गेट नंबर 8, मलाड (पश्चिम), मुंबई के आसपास के इलाकों – अंबोजवाड़ी, आज़ाद नगर और मोइनिया मस्जिद क्षेत्र में रहने वाले हजारों नागरिक पिछले 20 सालों से कचरे, बदबू और बीमारियों के बीच जीने को मजबूर हैं। तृप्ति प्रमाण के रिपोर्टर राजेश कोरी और शिवकुमार विश्वकर्मा ने इस इलाके का दौरा किया और वहां की दयनीय स्थिति को कैमरे में दर्ज किया।

गलियां कचरे से घिरी, लोग बीमार

गली-गली में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। घरों के सामने, गलियों के बीच, सड़कों पर – हर जगह कचरा फैला पड़ा है। बारिश के मौसम में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है। बदबू, मच्छर, मक्खियों का प्रकोप और गंदे पानी के जमाव से बच्चों और बुजुर्गों में डेंगू, मलेरिया, त्वचा रोग और सांस संबंधी बीमारियां आम हैं।

स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया,

“हर साल बारिश के समय हमारे बच्चे बुखार से तड़पते हैं। डॉक्टर कहते हैं – यह सब गंदगी और मच्छरों की वजह से है। लेकिन BMC को कोई फर्क नहीं पड़ता।”

नेताओं की चुनावी याददाश्त, फिर भूलने की बीमारी

लोगों का आरोप है कि चुनाव आते ही नेता इस इलाके में घर-घर जाकर वोट मांगते हैं। लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये नेता गायब हो जाते हैं।

एक महिला निवासी ने कैमरे के सामने कहा,

“चुनाव से पहले वो कहते हैं – ‘हम आपके लिए सब कुछ करेंगे’। लेकिन जीतने के बाद फोन नहीं उठाते। जब हम शिकायत करते हैं तो कहते हैं – ‘आप यहां कानूनी तौर पर नहीं रह रहे हैं, तो समस्या कैसे हल करें?’ लेकिन वोट लेने के वक्त तो हम सब लीगल हो जाते हैं!”

BMC को कई बार लिखे गए पत्र, लेकिन कोई सुनवाई नहीं

स्थानीय निवासी बार-बार बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को शिकायत पत्र दे चुके हैं। स्वर्ण समाज सेवा समिति और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के मलाड इकाई के कार्यकर्ताओं ने भी कई बार इस मुद्दे को आधिकारिक स्तर पर उठाया। लेकिन हर बार इसे नजरअंदाज कर दिया गया।

लोग डरे हुए, लेकिन आवाज उठा रहे

कई लोग कैमरे के सामने बोलने से डर रहे थे। कुछ का कहना था कि वे डरते हैं कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। फिर भी, कई लोगों ने अपना दर्द साझा किया।

जिम्मेदार कौन?

इस पूरे मामले में स्पष्ट है कि स्थानीय नेता, नगर निगम अधिकारी और विकास प्राधिकरण – सभी जिम्मेदार हैं। एक तरफ वे वोट लेने के लिए इस इलाके को मान्यता देते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाएं देने से पल्ला झाड़ लेते हैं।

तृप्ति प्रमाण की आवाज

तृप्ति प्रमाण ने इस मुद्दे को उठाया है ताकि आम आदमी की आवाज सरकार और नेताओं तक पहुंचे। यह सिर्फ एक इलाके की बात नहीं, बल्कि मुंबई के कई झुग्गी और अनधिकृत बस्तियों की तस्वीर है, जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं।

रिपोर्टिंग: राजेश कोरी और शिवकुमार विश्वकर्मा
तृप्ति प्रमाण |

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Rajesh