मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर लगातार बढ़ती ट्रैफिक जाम की समस्या ने एक बार फिर जानलेवा रूप ले लिया है। गुरुवार दोपहर नालासोपारा के एक 1.5 वर्षीय बच्चे, रेहान शेख, की मौत ट्रैफिक जाम के कारण इलाज न मिल पाने से हो गई। यह घटना सड़क बुनियादी ढांचे और आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
रेहान, जो कुर्ला से अपनी दादी के पास नालासोपारा के पेल्हार फाटा स्थित फातिमा मंझील में आया था, दोपहर करीब 2 बजे चौथी मंजिल की बालकनी में खेलते समय बिना ग्रिल वाली खिड़की से नीचे गिर गया। उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहाँ प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उसे मुंबई के किसी बड़े अस्पताल में भेजने की सलाह दी।
लेकिन आपातकालीन एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण, परिजनों ने बच्चे को दोपहिया वाहन पर बैठाकर मिरा रोड की ओर ले जाने का फैसला किया। इसी बीच, मुंबई जाने वाले एकमात्र हाईवे पर भीषण ट्रैफिक जाम था — कई किलोमीटर लंबी वाहनों की कतारें लगी हुई थीं। बच्चे को लेकर जा रही दोपहिया वाहन इस जाम में फंस गई, और समय रहते इलाज न मिलने के कारण रेहान की मृत्यु हो गई।
यह घटना कई गंभीर लापरवाहियों को उजागर करती है — खिड़कियों पर सुरक्षा ग्रिल का अभाव, एम्बुलेंस सेवाओं की कमी, और सबसे बड़ी समस्या — लगातार बढ़ती ट्रैफिक जाम की स्थिति।
मुंबई-अहमदाबाद हाईवे पर खड्डे, अव्यवस्थित ट्रैफिक और लंबे जाम की शिकायतें पुरानी हैं। रोजाना कई छोटे-मोटे हादसे होते हैं, वाहन क्षतिग्रस्त होते हैं, और आपातकालीन वाहन भी जाम में फंस जाते हैं। कई बार तो लोगों को फ्लाइट्स या ट्रेनें भी मिस हो जाती हैं। मनसे, बहुजन विकास आघाडी, शिवसेना और भूमिपुत्र संघटना जैसे कई संगठन पहले भी रास्ता रोको आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन राज्य राजमार्ग विकास निगम की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
मुंबई से वसई तक का सफर, जो एक घंटे में पूरा होना चाहिए, अब तीन घंटे लेता है। नागरिक और ड्राइवर दोनों ही इस स्थिति से आहत और नाराज हैं।
रेहान की मौत ने एक बार फिर अधिकारियों को जगाने की कोशिश की है — लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार वे सचमुच जागेंगे? या फिर यह घटना भी रोज की तरह ‘एक और दुर्घटना’ बनकर रह जाएगी?