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छठ पूजा आस्था का पर्व, इसे राजनीति से जोड़ना अनुचित : मनोज बारोट |

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तृप्ति प्रमाण संवाददाता | राजेश कोरी नालासोपारा।

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उत्तर भारतीय संस्कृति और नारी शक्ति की गहरी आस्था का प्रतीक है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की महिलाएं अपने परिवार के सुख, समृद्धि और दीर्घायु के लिए सूर्य देव की उपासना करते हुए यह व्रत पूरे श्रद्धा और पवित्रता के साथ निभाती हैं।

यह पर्व सूर्यास्त और सूर्योदय दोनों समय अर्घ्य देकर सूर्य देव का आभार प्रकट करने का पर्व है। परंपरागत रूप से यह पूजा नदियों, तालाबों और जलाशयों के किनारे होती आई है। लेकिन प्रदूषण और सुरक्षा की दृष्टि से न्यायालय द्वारा इस वर्ष इसे कृत्रिम (आर्टिफिशियल) तालाबों में करने का निर्देश जारी किया गया है।

इसी विषय पर भाजपा वसई विरार शहर जिलाध्यक्ष मनोज बारोट ने कहा कि,

“छठ पूजा राजनीति का नहीं, आस्था और भारतीय संस्कृति के सम्मान का विषय है। इसे किसी भी प्रकार से राजनीतिक रंग देना अनुचित है।”

उन्होंने वसई विरार पुलिस आयुक्त और नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर यह मांग की है कि छठ पूजा करने वाली महिलाओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रशासन उचित व्यवस्था सुनिश्चित करे।

बारोट ने कहा कि छठ पूजा से करोड़ों महिलाओं की धार्मिक भावना जुड़ी है, इसलिए इस पर्व को लेकर किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा करना ठीक नहीं। सभी राजनीतिक दलों को मिलकर इस मुद्दे पर आम सहमति बनानी चाहिए ताकि आस्था और कानून दोनों का संतुलन कायम रहे।

उन्होंने आगे कहा कि,

न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए प्रशासन को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से पूजा कर सकें, साथ ही किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।”

छठ पूजा उत्तर भारत की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, जो सूर्य उपासना और पर्यावरण शुद्धता का संदेश देती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इसे राजनीतिक विवाद का विषय न बनाया जाए, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मिलजुल कर मनाया जाए।

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Rajesh