वसई-विरार: वसई तालुका की सड़कों पर गहरे गड्ढों ने नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। दैनिक आवागमन अब जोखिम भरा हो गया है, जहाँ एक ओर दुर्घटनाओं का सिलसिला जारी है, वहीं प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही। इस स्थिति में, बहुजन विकास आघाडी (बविआ) ने रविवार को वसई-विरार महानगरपालिका मुख्यालय पर एक शक्तिशाली मोर्चा निकालकर प्रशासन को जवाबदेह बनाने की मांग की।
हाल ही में विरार के प्रताप नाईक की मौत एक सड़क के गड्ढे में दुपहिया वाहन फिसलने से हुई, जबकि एक युवती अब भी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शवयात्रा गाड़ियाँ, स्कूल जाने वाले बच्चे या ऑफिस जाने वाले कर्मचारी — कोई भी इन गड्ढों से अछूता नहीं है। इसके बावजूद, प्रशासन ने न तो स्थायी समाधान निकाला है और न ही जनता की पीड़ा को गंभीरता से लिया है।
रविवार को दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक महानगरपालिका मुख्यालय के सामने आयोजित इस मोर्चे में नागरिकों के साथ-साथ एम्बुलेंस चालक, रिक्शा संचालक, उत्तर भारतीय विकास सेना और अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी एक स्वर में नारे लगा रहे थे — “गड्ढे भरो! हिसाब दो!”
मोर्चे के दौरान पूर्व विधायक क्षितिज ठाकुर ने प्रशासन पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकाल के दौरान नगर निगम के पास 400 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट थी। यह राशि कहाँ गई? नागरिकों को इसका क्या लाभ मिला?” उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम ने केवल एक ही सड़क पर चार बार टेंडर जारी करके करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, जो घोटाले का स्पष्ट संकेत है।
क्षितिज ठाकुर ने आगे कहा,
“हमने काम किए — रिल्स (रिश्वत) नहीं बनाए!
अब सवाल यह है कि क्या एमएमआरडीए के अधिकारी विधायकों को मूर्ख बना रहे हैं, या विधायक जनता को? इसका फैसला अब जनता खुद करेगी!”
इस आंदोलन में बविआ के संघटन सचिव अजीव पाटिल, पूर्व महापौर पंकज ठाकुर, कई पूर्व नगरसेवक और हजारों नागरिकों ने सहभागिता दर्ज कराई।
वसई-विरार के हालिया इतिहास में यह मोर्चा न केवल प्रशासन से जवाबदेही की मांग करने वाला बल्कि जन आक्रोश को एक संगठित रूप देने वाला साबित हुआ।
मोर्चे का संदेश स्पष्ट था: “गड्ढे भरो, नहीं तो कुर्सियाँ खाली कर दो!”