पालघर, 9 जुलाई:
पालघर जिला प्रशासन ने बाल श्रमिक प्रथा को समाप्त कर जिले को ‘बाल श्रमिक मुक्त’ घोषित करने के उद्देश्य से ठोस कदम उठाना प्रारंभ कर दिया है। जिल्हाधिकारी डॉ. इंदु राणी जाखड की अध्यक्षता में जिला स्तर पर क्रियान्वयन समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विभागों एवं समितियों के कार्यों की समीक्षा की गई।
👩⚖ प्रशासनिक दिशा-निर्देश:
बैठक के दौरान जिल्हाधिकारी ने संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि—
- जनजागृति अभियान को ज़ोरदार ढंग से चलाया जाए
- निजी प्रतिष्ठानों पर नियमित छापे मारकर निरीक्षण किया जाए
- जिले में पाए गए बंधुआ श्रमिकों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए व उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए
- असंगठित श्रमिकों को प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना, राष्ट्रीय पेंशन योजना तथा ई-श्रम पोर्टल जैसी सरकारी योजनाओं से जोड़ने के प्रयास तेज़ किए जाएं
👥 बैठक में उपस्थित अधिकारीगण:
बैठक में निवासी उपजिल्हाधिकारी सुभाष भागडे, श्रम उप आयुक्त विजय चौधरी सहित बाल श्रमिक क्रियान्वयन समिति, बंधुआ श्रमिक सतर्कता समिति, ई-श्रम निगरानी समिति, समन्वय समिति एवं अन्य प्रमुख समितियों के सदस्य उपस्थित रहे।
📢 सामाजिक सहभागिता का आह्वान:
जिल्हाधिकारी डॉ. जाखड ने कहा कि बाल श्रमिक प्रथा पर पूर्ण विराम तभी लगेगा जब समाज के सभी घटक – शासकीय विभाग, शैक्षणिक संस्थाएं, शिक्षक, अभिभावक, स्वयंसेवी संगठन और नागरिक – एक साथ मिलकर कार्य करें। जनजागृति ही इस दिशा में सबसे बड़ा हथियार सिद्ध हो सकती है।
🌈 समाजसेवी दृष्टिकोण:
उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि यदि सभी पक्ष मिलकर सहयोग करें, तो पालघर जिला निश्चित रूप से ‘बाल श्रमिक मुक्त जिला’ घोषित किया जा सकता है। यह केवल एक प्रशासकीय कार्य नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है।
📌 निष्कर्ष:
पालघर प्रशासन द्वारा उठाए गए ये कदम न सिर्फ बाल श्रमिकों के हित में हैं, बल्कि ये पूरे समाज को एक मानवीय संदेश देते हैं — कि हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन का अधिकार है। पालघर जल्द ही पूरे महाराष्ट्र और देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है।