मक्का: पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य लाभ और उपचार में भूमिका
डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी
मक्का या मकई एक सामान्य कोटि का आहार है, जो निर्धन परिवारों के लिए मुख्य भोजन का स्रोत बना हुआ है। कम मात्रा में बनाया गया दलिया बड़े परिवार के लिए अधिक सदस्यों को खिलाने में सहायक होता है। हालांकि, मक्का में प्रोटीन निम्न कोटि का होता है। इसमें नायसिन (विटामिन B3) की कमी के कारण लंबे समय तक इसके सेवन से ‘पेलाग्रा’ नामक चर्म रोग हो सकता है।
मक्के से बने आहार जैसे रोटी, दलिया, भात, ढोकला, पीड़ा आदि को दूध, छाछ या दही के साथ लेने से प्रोटीन की कमी पूरी हो जाती है और स्वाद भी बढ़ जाता है। अमेरिका में मक्के का 90% उपयोग पशुओं के लिए किया जाता है।
एक शोध के अनुसार, मक्के में एल्युमिनियम, ग्लोब्यूलिन, प्रोटिओस, अल्कोहल में घुलनशील प्रोटीन और ग्लूटेलिन जैसे प्रोटीन पाए जाते हैं। इसकी बाहरी परत रेशायुक्त होती है और इसके नीचे प्रोटीन, फास्फोरस और ग्लूटेन की परत होती है। मक्के के अंकुर में स्टार्च की तुलना में प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज अधिक होते हैं। इसके तेल का उपयोग औषधियों में भी किया जाता है।
मक्के में विटामिन A की उपस्थिति के कारण यह और इससे बने खाद्य पदार्थ पीले रंग के होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, मक्का रूक्ष, ठंडी और कब्जकारक होती है। यह कफ और पित्त को संतुलित करती है।
मक्के का भुट्टा, सतू, पॉपकॉर्न न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि रक्तहीनता को दूर करने में भी मदद करते हैं। इसके बालों से बना सूप मूत्र संबंधी समस्याओं और महिला रोगों में लाभदायक है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार, मक्के में प्रो-प्रोटीन यौगिक और बीटा-कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों के लिए बहुत लाभदायक है।
मक्का का लावा मधुमेह और मोटापा से पीड़ित लोगों के लिए उत्तम आहार है। इसमें सेल्यूलोज़, स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन B कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और कॉपर पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह तृप्ति देता है, लेकिन वजन या शर्करा स्तर को नियंत्रित रखता है।
इसका प्रचलन थिएटर, स्टेडियम और सभी जगह बढ़ता जा रहा है। पॉपकॉर्न के रूप में यह न केवल बच्चों, बल्कि वयस्कों का भी पसंदीदा स्नैक्स बन चुका है।