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मूत्राशय की जलन का प्राकृतिक उपचार | डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी |

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डॉक्टर: मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी
स्थान: आगरा

मूत्राशय की जलन एक सामान्य समस्या है जो गर्मी, खान-पान, संक्रमण या जीवनशैली से उत्पन्न हो सकती है। इसके लिए प्राकृतिक और घरेलू उपचार बहुत प्रभावी हो सकते हैं।

इस लेख में डॉ. मीना अग्रवाल नेचुरोपैथी के आधार पर मूत्राशय की जलन के विभिन्न प्राकृतिक उपचारों की जानकारी दे रही हैं।


💊 उपचार 1: धनिया और मिश्री का चूर्ण

सामग्री:

  • धनिया की 300 ग्राम गिरी
  • 300 ग्राम मिश्री (कूंजा)

बनाने की विधि:
दोनों अलग-अलग पीसकर मिला लें।

सेवन विधि:

  • प्रातः खाली पेट और शाम को 4:00 बजे, प्रत्येक बार 6 ग्राम चूर्ण बासी पानी के साथ फाँक करके लें।
  • खाने से 2 घंटे पहले/बाद सेवन करें।
  • 21 दिन तक लगातार लेने से लाभ होता है।

विशेष:

  • यदि दस्त हो रहे हों, तो शाम की खुराक रात में सोने से आधा घंटा पहले लें।
  • कब्ज होने पर इसबगोल की भूसी (5–15 ग्राम) रात में ताजे पानी के साथ लें।

🍄 उपचार 2: भिगोकर धनिया का पानी

विधि:

  • 10 ग्राम धनिया रात में पानी में भिगोएं।
  • सुबह ठंडाई की तरह पीसकर छानकर मिश्री मिलाकर पिएं।
  • 2–4 दिन लगातार लेने से लाभ।

🧄 विकल्प उपचार:

  1. प्याज + दही चटनी:
    • प्याज को पीसकर दही में मिलाकर कुछ दिन खाने से जलन में आराम।
  2. तुलसी के पत्ते:
    • 4–5 तुलसी के पत्तों को खाली पेट चबाकर पानी पिएं।
    • 3–4 दिन में आराम होगा।
  3. बेल के पत्ते का रस:
    • 10 पत्तों को पीसकर 280 मिली पानी में मिलाकर पिएं।
  4. ठंडा पानी का तौलिया:
    • नाभि के नीचे पेट पर गीला तौलिया रखने से जलन में तुरंत आराम।

🩺 मूत्र कम आने पर:

  • 2 छोटी इलायची पीसकर दूध के साथ फाँक लेने से मूत्र स्वतंत्रतापूर्वक आने लगता है।

🍋 मूत्र साफ करने के उपाय:

  • जौ का पानी, नारियल का पानी, गन्ने का रस, कुल्ची का पानी लाभदायक।
  • रात में तवे के बर्तन में रखा पानी पीना।
  • भोजन के साथ छाछ में हरा धनिया मिलाकर पीना।

🌽 मक्की के रेशम से बाल (Corn Silk)

  • 25 ग्राम रेशम के बाल, 250 ग्राम पानी में उबालें।
  • एक तिहाई रहने पर छानकर पिएं।
  • यह मूत्र को साफ करता है और गुर्दे की पथरी भी निकालता है।

🧄 रुका मूत्र – जीरा + मिश्री

  • 2 ग्राम जीरा और 2 ग्राम मिश्री पीसकर ठंडे पानी के साथ फाँक करने से मूत्र खुल जाता है।

🥕 मूली का रस (गुर्दे की खराबी पर)

  • 60 ग्राम मूली के पत्तों का रस पीने से मूत्र फिर से बनने लगता है।

🧈 एरंड का तेल (मूत्र बंद होने पर)

  • 25–50 ग्राम एरंड का तेल गर्म पानी में मिलाकर पीने से 15–20 मिनट में मूत्र आने लगता है।

💡 निष्कर्ष:

मूत्राशय की जलन का उपचार प्राकृतिक रूप से संभव है। उपरोक्त सभी उपाय आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के अनुसार हैं। हालांकि, यदि समस्या बनी रहे तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

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