लेखक: डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, आगरा
प्रकाशन तिथि: [20 सितम्बर ]
श्रेणी: स्वास्थ्य एवं जीवनशैली | घरेलू उपचार | आयुर्वेदिक नुस्खे
🔍 गले की खराश – सिर्फ ‘सर्दी’ नहीं, कई बड़ी बीमारियों का संकेत भी!
गले में खराश होना एक आम समस्या है, लेकिन इसकी गंभीरता को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, आगरा, बताती हैं कि यह सिर्फ संक्रमण तक सीमित नहीं है — यह एसिड रिफ्लक्स, एलर्जी, यहाँ तक कि गले के कैंसर का प्रारंभिक लक्षण भी हो सकता है!
💡 डॉ. मीना अग्रवाल के अनुसार – गले की खराश के बारे में 10 अनसुने तथ्य:
हर खराश संक्रमण से नहीं होती – धूल, प्रदूषण, एलर्जी या एसिड रिफ्लक्स भी कारण बन सकते हैं।
हार्टबर्न से भी हो सकती है खराश – कई बार पेट का एसिड गले तक पहुँचकर “silent sore throat” पैदा करता है।
2 हफ्ते से ज्यादा खराश? सावधान! – यह थायरॉइड या गले के कैंसर का पहला संकेत हो सकता है।
80-90% मामले वायरल होते हैं – Antibiotics इनमें बेकार हैं, सिर्फ बैक्टीरियल इन्फेक्शन में काम आती हैं।
सर्दियों में ज्यादा क्यों? – ठंडी व सूखी हवा म्यूकस मेम्ब्रेन को सुखाती है, जिससे खराश बढ़ जाती है।
ज्यादा बोलना भी है खतरनाक – वोकल कॉर्ड्स पर दबाव डालकर खराश पैदा कर सकता है।
कान में दर्द हो तो गले को भी चेक करें – यह ‘referred pain’ हो सकता है, कान की बीमारी नहीं।
बैड ब्रीथ का कारण भी हो सकती है खराश – लगातार सूजन से मुंह में बैक्टीरिया बढ़ते हैं।
गले में भी होता है माइक्रोबायोम – अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ने से बार-बार इन्फेक्शन होते हैं।
धूम्रपान और शराब = खराश को क्रॉनिक बना देते हैं – और कैंसर का खतरा भी बढ़ाते हैं।
🌿 घर पर आजमाएं – डॉ. मीना अग्रवाल के 6 प्रभावी घरेलू नुस्खे:
नमक के गरारे – गुनगुने पानी में नमक मिलाकर दिन में 3-4 बार गरारे करें।
शहद + अदरक – एक चम्मच शहद में अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम लें।
हल्दी वाला दूध – सोने से पहले गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पिएं।
तुलसी का काढ़ा – तुलसी, अदरक और काली मिर्च का काढ़ा दिन में दो बार पिएं।
लौंग चबाएं – गले में सुकून और सूजन कम करने के लिए लौंग चबाएं।
गर्म पानी पिएं – दिन भर गुनगुना पानी पिएं, गला सूखने न दें।
⚠️ निष्कर्ष:
“गले की खराश छोटी लगे, पर असर बड़ा हो सकता है। घरेलू उपचार से आराम पाएं, लेकिन लंबे समय तक बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।”
— डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी, आगरा