आगरा, [ 6 नवंबर 2025]
आयुर्वेद की प्राचीन औषधि हरीतकी (Terminalia chebula) को भारतीय चिकित्सा परंपराओं में ‘संजीवनी’ का दर्जा दिया गया है। संस्कृत में इसे अभया कहा जाता है – जिसका अर्थ है ‘जो भय को दूर करती है’। डॉ. मीना अग्रवाल, जो आगरा से संबद्ध आयुर्वेदिक एवं नेचुरोपैथिक विशेषज्ञ हैं, कहती हैं कि हरीतकी न केवल त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करती है, बल्कि शरीर को पुनयौवन भी प्रदान करती है।
हरीतकी, त्रिफला का मुख्य अवयव है और आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता, अष्टांग हृदय और भाव प्रकाश में इसकी अत्यधिक प्रशंसा की गई है। इसके अद्भुत औषधीय गुणों में शामिल हैं:
पाचन शक्ति बढ़ाना
रक्त शुद्धि
घाव भरने में सहायता
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
कुछ प्रमुख उपयोग और लाभ:
कब्ज: रात को सोने से पहले हरीतकी चूर्ण + गुनगुना पानी/दूध
मुंह की समस्याएँ: कुल्ले के लिए हरीतकी काढ़ा
बाल और त्वचा: आंवला व रीठा के साथ हरीतकी से बना त्वचा-अनुकूल शैम्पू
डायबिटीज व हृदय स्वास्थ्य: नियमित सेवन से ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रॉल में सुधार
खांसी व पाचन: शहद या अदरक के साथ सेवन से त्वरित राहत
सावधानियाँ:
गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान बिना वैद्य की सलाह के हरीतकी का सेवन न करें। अधिक मात्रा में लेने से दस्त या निर्जलीकरण हो सकता है।
रोचक तथ्य:
भगवान बुद्ध के हाथ में अक्सर हरीतकी का फल दिखाया गया है
तांबे के बर्तन में रातभर रखकर सेवन करने से लाभ दोगुना हो जाता है
धूम्रपान छोड़ने में भी सहायक
डॉ. मीना अग्रवाल कहती हैं,
“हरीतकी न केवल रोग निवारण का साधन है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य, ऊर्जा और आत्मिक संतुलन की प्रतीक है।”
धन्यवाद!
डॉ. मीना अग्रवाल
आयुर्वेदिक एवं नेचुरोपैथिक चिकित्सक
आगरा, उत्तर प्रदेश