आगरा, 8 नवंबर 2025 — थायरॉइड रोग, विशेष रूप से हाइपोथायरॉइडिज़्म, आजकल बढ़ते वज़न का एक प्रमुख कारण बन गया है। डॉ. मीना अग्रवाल, आगरा की जानी-मानी नेचुरोपैथ एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ, कहती हैं कि “थायरॉइड में वज़न बढ़ना केवल कैलोरी की समस्या नहीं, बल्कि शारीरिक दोषों – विशेषकर कफ और वात – के असंतुलन का संकेत है।”
थायरॉइड ग्रंथि मेटाबॉलिज़्म को नियंत्रित करती है। जब इसका हार्मोन स्राव कम हो जाता है, तो शरीर में चर्बी जलने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, पाचन प्रभावित होता है और जल संचय बढ़ जाता है – जिससे वज़न बढ़ने लगता है।
डॉ. मीना अग्रवाल ने थायरॉइड से जूझ रहे लोगों के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक एवं नेचुरोपैथी आधारित उपाय सुझाए हैं:
त्रिकटु चूर्ण – मेटाबॉलिज्म बढ़ाए
कांचनार गुग्गुलु – थायरॉइड ग्रंथि के संतुलन के लिए
त्रिफला – डिटॉक्स एवं फैट बर्निंग
गुग्गुलु कल्प – कफ दोष कम करने और वसा उपापचय सुधारने हेतु
गिलोय-नीम रस – हार्मोनल संतुलन एवं इम्यूनिटी बूस्टर
धनिया का क्वाथ – जल संचय घटाए
लेमन-हनी वाटर – सुबह का डिटॉक्स ड्रिंक
प्राणायाम एवं योगासन – सर्वांगासन, भुजंगासन, कपालभाति आदि
सात्विक आहार – ग्लूटेन और डेयरी से परहेज, गर्म तासीर वाले आहार
नियमित दिनचर्या – 7–8 घंटे नींड, 30 मिनट पैदल चलना
डॉ. मीना अग्रवाल का मानना है कि प्राकृतिक नेचुरोपैथी एवं आयुर्वेद के साथ सही जीवनशैली अपनाकर व्यक्ति न केवल थायरॉइड बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य का स्थायी संतुलन भी प्राप्त कर सकता है।
“स्वास्थ्य ही सच्चा धन है” – डॉ. मीना अग्रवाल
नेचुरोपैथ | आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सलाहकार | आगरा