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सर्दियों में अस्थमा की राहत का स्वाभाविक मार्ग: कारण, आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली सुझाव |

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आगरा, 11 नवंबर 2025 – सर्दियों का मौसम अस्थमा और सांस संबंधी विकारों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। ठंडी, शुष्क हवा श्वसनीय नलिकाओं को संकुचित कर देती है, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है। डॉ. मीना अग्रवाल, आगरा की जानी-मानी नेचुरोपैथ एवं आयुर्वेद चिकित्सिका, बताती हैं कि वात-कफ दोष का असंतुलन अस्थमा का मूल कारण है, जिसे आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवनशैली से प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

मुख्य कारण:

ठंडी हवा से वायुमार्ग सिकुड़ना
वायु प्रदूषण व धूल के उच्च स्तर
विटामिन D की कमी
श्वसनीय एलर्जन्स (धुआं, बासी भोजन, धूल)
श्वसनीय संक्रमण (जुकाम, खांसी, फ्लू)
आयुर्वेदिक नजरिया:
चरक संहिता में कहा गया है –

“कफवातसमुत्थानं श्वासं तं तामकं विदुः”
अर्थात् कफ और वात के बढ़ने से श्वास रोग (अस्थमा) उत्पन्न होता है।

प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार:

अदरक + शहद – दिन में दो बार, सूजन व कफ में राहत।
हल्दी वाला गुनगुना दूध – रात को सोने से पहले।
तुलसी-काली मिर्च चाय – बलगम व खांसी पर असरदार।
अजवाइन की भाप – नाक जाम व श्वास की रुकावट में तत्काल आराम।
लहसुन दूध – फेफड़ों की सफाई के लिए।
अनिवार्य जीवनशैली सुझाव:
✔️ सुबह की ठंड में बाहर न निकलें
✔️ मुंह-नाक को स्कार्फ या मास्क से ढकें
✔️ घर को धूल व प्रदूषण मुक्त रखें
✔️ तनाव कम करें व पर्याप्त नींद लें
✔️ गुनगुना पानी व गर्म सूप लेते रहें
✔️ ह्यूमिडिफायर या स्टीमर का उपयोग करें

योग एवं प्राणायाम:

अनुलोम-विलोम
कपालभाति
भ्रामरी
उज्जायी (अस्थमा विशेष लाभ)
आहार सुझाव:
आंवला, गिलोय रस, अश्वगंधा, तिल, पिप्पली, तुलसी और गर्म स्टीम्ड सब्जियां।

नोट:
आयुर्वेदिक औषधियां जैसे – सितोपलादि चूर्ण, तालीसादि चूर्ण, वासावलेह – केवल योग्य वैद्य की सलाह से लें। यह सामग्री सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है। गंभीर लक्षणों में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

“ठंडी हवा का मौसम, पर सांस न रुके – सही देखभाल से आसान बने हर सर्द सुबह।”
— डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथ & आयुर्वेद एक्सपर्ट, आगरा

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Rajesh