आगरा, 23 नवंबर 2025 — आधुनिक जीवनशैली में पाचन संबंधी समस्याएँ अब कोई अपवाद नहीं, बल्कि एक सामान्य बात बन गई हैं। गैस, एसिडिटी, पेट फूलना, कब्ज या अपच जैसी समस्याएँ लाखों लोगों को रोज़ाना परेशान करती हैं। साथ ही, टाइप-2 डायबिटीज भी तेज़ी से बढ़ता हुआ एक महामारी बन चुका है। लेकिन क्या अगर हम आपको बताएँ कि आपकी रसोई में मौजूद एक साधारण काला मसाला — कलौंजी — इन सभी समस्याओं का प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी समाधान है?
प्रसिद्ध नेचुरोपैथ और स्वास्थ्य संवर्धन की जानी-मानी विशेषज्ञ डॉ. मीना अग्रवाल (आगरा) कहती हैं,
“खाने के बाद रोजाना केवल 10 ग्राम कलौंजी को अच्छी तरह चबा लें। इस सरल आदत से न केवल पेट की गैस तुरंत निकल जाएगी, बल्कि डायबिटीज भी लंबे समय तक नियंत्रण में रहेगा।”
कलौंजी: प्राचीन काल से चला आ रहा ‘जादुई’ उपाय
कलौंजी, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Nigella sativa कहा जाता है, सदियों से आयुर्वेद, यूनानी और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में ‘शिफा उल-सरअ’ यानी “सभी बीमारियों की दवा” के रूप में जानी जाती है। डॉ. अग्रवाल बताती हैं कि यह छोटे-छोटे काले बीज अपने अद्भुत सक्रिय यौगिक थाइमोक्विनोन (Thymoquinone) के कारण स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
कैसे कलौंजी पाचन तंत्र को सुधारती है?
डॉ. मीना अग्रवाल के अनुसार, कलौंजी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो:
- आंतों की गतिशीलता (bowel movement) को सुचारू बनाते हैं,
- एसिडिटी और उल्टी जैसी समस्याओं को कम करते हैं,
- आमाशय की म्यूकस लाइनिंग को सुरक्षित रखते हैं,
- पेट की सूजन और गैस के निर्माण को रोकते हैं।
“कलौंजी का सेवन खाने के तुरंत बाद करने से यह पाचक एंजाइम्स के स्राव को उत्तेजित करती है, जिससे भोजन जल्दी और आसानी से पच जाता है,” वे जोड़ती हैं।
डायबिटीज नियंत्रण में कलौंजी की भूमिका
टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के लिए कलौंजी वास्तव में वरदान है। डॉ. अग्रवाल कहती हैं,
“थाइमोक्विनोन पैंक्रियास की बीटा कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि नियमित कलौंजी सेवन से HbA1c लेवल में नाटकीय सुधार आता है।”
अन्य स्वास्थ्य लाभ: दिल से लेकर जोड़ों तक
कलौंजी के लाभ केवल पाचन और डायबिटीज तक ही सीमित नहीं हैं:
- हृदय स्वास्थ्य: इसमें ओमेगा-3, ओमेगा-6 और फाइबर LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करके धमनियों की रक्षा करते हैं।
- वजन प्रबंधन: यह मेटाबॉलिज्म को तेज़ करती है और वसा उपापचय को बेहतर बनाती है।
- जोड़ों का दर्द: एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गठिया और मांसपेशियों की सूजन में राहत देते हैं।
- प्रतिरक्षा प्रणाली: एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं।
सही तरीका: कैसे लें कलौंजी?
डॉ. मीना अग्रवाल सुझाव देती हैं:
- खाने के 10-15 मिनट बाद 10 ग्राम (लगभग 1 बड़ा चम्मच) कच्ची कलौंजी को अच्छी तरह चबाकर लें।
- वैकल्पिक रूप से, इसे शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट भी लिया जा सकता है।
- लंबे समय तक नियमित सेवन ही असली लाभ देता है।
अंतिम शब्द
डॉ. मीना अग्रवाल कहती हैं,
“प्रकृति ने हमें हर बीमारी का इलाज दिया है। हमें बस उस पर विश्वास करना और सही तरीके से उपयोग करना सीखना है। कलौंजी ऐसा ही एक उपहार है — सरल, सुलभ और शक्तिशाली।”
Health is Wealth – और यह धन प्राकृतिक तरीकों से ही स्थायी होता है।
—
डॉ. मीना अग्रवाल
प्रैक्टिसिंग नेचुरोपैथ
आगरा, उत्तर प्रदेश