---Advertisement---

लो विज़न का खतरा बढ़ रहा है? डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ बता रही हैं आंखों को स्वस्थ रखने के 10 आयुर्वेदिक मंत्र!”|

---Advertisement---

सर्दियों में बढ़ती आंखों की कमज़ोरी, ड्राई आईज़ और स्क्रीन टाइम के प्रतिकूल प्रभावों से बचाव के प्राकृतिक उपाय

आगरा, 6 दिसंबर 2025 — वर्तमान समय में लो विज़न (कम दृष्टि) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। खासकर सर्दियों में, जब ठंडी हवाएं, बढ़ता स्क्रीन टाइम और वातावरणीय प्रदूषण आंखों पर गहरा असर डालते हैं। नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. मीना अग्रवाल (आगरा) कहती हैं कि आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियाँ आंखों की सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिए सबसे प्रभावी हैं।

डॉ. अग्रवाल के अनुसार, “आंखें केवल दृष्टि का साधन नहीं, बल्कि शरीर की आंतरिक स्थिति का आइना हैं। चरक संहिता में कहा गया है कि आंखें पित्त का स्थान हैं। इसलिए तनाव, अनियमित नींद, ज्यादा स्क्रीन यूज़ और खराब आहार इन्हें तुरंत प्रभावित करते हैं।”

इसी संदर्भ में डॉ. अग्रवाल ने आंखों को स्वस्थ रखने के 10 प्राकृतिक मंत्र साझा किए हैं:

त्रिफला जल से आंखों की धुलाई – रातभर भिगोई गई त्रिफला से आंखों को सुबह धोना।
शुद्ध घी द्वारा नेत्र-तर्पण – सोने से पहले कनपटी और तलवों पर घी लगाना।
आंवला का सेवन – रोज़ाना आंवला रस या चूर्ण लेना।
20:20:20 नियम – हर 20 मिनट में 20 फीट दूर 20 सेकंड तक देखना।
खीरे का शीतल पैक – आंखों पर खीरे की स्लाइस लगाना।
गुलाब जल की बूंदें – शुद्ध गुलाब जल से आंखों की सफाई।
रात 10 बजे तक नींद – पित्त संतुलन के लिए जल्दी सोना।
आंखों के लिए पौष्टिक आहार – गाजर, पालक, शकरकंद और देसी घी का सेवन।
नेत्र-योग – आंखों के लिए विशेष योगासन व आंख घुमाने के अभ्यास।
देसी घी + काला नमक – घी में काला नमक मिलाकर सेवन।
डॉ. अग्रवाल ने चेतावनी दी कि मोबाइल का अधिक उपयोग, एसी/हीटर की सीधी हवा, कम नींद, अधिक चीनी और पानी की कमी आंखों को कमज़ोर करते हैं। उन्होंने कहा, “पित्त दूषित हो तो नेत्र दूषित होते हैं। इसलिए संतुलित आहार, नियमित नींद और मानसिक शांति ही आंखों की रक्षा के तीन स्तंभ हैं।”

— डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, आगरा

Join WhatsApp

Join Now

---Advertisement---
Rajesh