आगरा, 20 नवंबर 2025:
सर्दियों का मौसम तो सुकून भरा होता है, लेकिन त्वचा के लिए यह समय कई चुनौतियों से भरा होता है। ठंडी हवा, कम आर्द्रता, गर्म पानी से नहाने की आदत और केमिकलयुक्त साबुन त्वचा की प्राकृतिक नमी छीन लेते हैं, जिससे खुजली, रूखापन, फटना और बेजानपन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
आयुर्वेद एवं नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. मीना अग्रवाल (आगरा) के अनुसार, इस समस्या का मूल कारण वात दोष की वृद्धि है। आयुर्वेद में कहा गया है — “वातात् त्वक् शुष्यति”, अर्थात वात दोष से त्वचा शुष्क हो जाती है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सर्दियों में अभ्यंग (तेल मालिश), देसी घी का सेवन, और वात-शामक तेलों (जैसे तिल, सरसों या नारियल तेल) का उपयोग अत्यंत लाभदायक है। उन्होंने बताया कि ओज और रस धातु की मजबूती ही त्वचा की कोमलता का आधार है, जिसके लिए पोषक एवं स्निग्ध (तैलीय) आहार आवश्यक है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो सर्दियों में Transepidermal Water Loss (TEWL) बढ़ जाता है, जिससे त्वचा की लिपिड बैरियर कमजोर हो जाती है। इसे रोकने के लिए नैचुरल ऑयल या मॉइस्चराइज़र का उपयोग आवश्यक है।
महत्वपूर्ण सुझाव:
स्नान से पहले तिल या सरसों तेल से मालिश करें
एलोवेरा जेल + नारियल तेल का उपयोग करें
घी, बादाम, तिल और गुनगुना दूध का आहार में समावेश करें
गर्म पानी, हार्ड साबुन और हीटर के सीधे संपर्क से बचें
डॉ. अग्रवाल ने कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियों की भी सिफारिश की, जैसे Kumkumadi Tailam, Eladi Tailam, और Chandanasavam, लेकिन उनका उपयोग किसी योग्य वैद्य की सलाह से ही करने की सलाह दी।
उन्होंने समाप्ति में कहा — “त्वचा का स्वास्थ्य केवल बाहरी देखभाल पर निर्भर नहीं, बल्कि आहार, जीवनशैली और प्राकृतिक तत्वों के सही उपयोग पर निर्भर करता है। प्रकृति के साथ जुड़कर ही टिकाऊ खूबसूरती संभव है।”
❄️ सर्दियों में त्वचा रूखी, फट रही है?
जानिए डॉ. मीना अग्रवाल (नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, आगरा) से प्राकृतिक उपाय! 🌿
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