टाइप 2 डायबिटीज़ से ग्रस्त लाखों लोगों के लिए सुबह की दिनचर्या न केवल एक आदत है, बल्कि एक शक्तिशाली उपचार भी है। नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. मीना अग्रवाल का कहना है कि रोज़ाना सुबह के कुछ छोटे-छोटे सुधार—जैसे गुनगुना पानी पीना, हल्की सुबह की टहल और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Low GI) वाला नाश्ता—पूरे दिन ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, सुबह का समय अग्नि (पाचन शक्ति) और ऊर्जा संतुलन का होता है। यदि सुबह की शुरुआत गलत आदतों—जैसे मीठी चाय, बिस्कुट, जूस या भारी नाश्ता—से की जाए, तो यह ब्लड शुगर में तेज़ उछाल (Sugar Spike) ला सकती है। वहीं, गुनगुना पानी, नीम-मेथी का सेवन, सूर्य की हल्की धूप और 20-30 मिनट की टहल इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाती है और शुगर को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करती है।
डॉ. अग्रवाल बताती हैं कि टाइप 2 डायबिटीज़ को आयुर्वेद में मधुमेह कहा जाता है, जो कफ और पित्त दोष के असंतुलन से उत्पन्न होता है다। इसलिए, सुबह की आदतों में संतुलन लाना अत्यंत आवश्यक है।
क्या करें?
- खाली पेट गुनगुना पानी पिएं
- रात भिगोए मेथी दाने सुबह चबाएं
- नीम के पत्तों का काढ़ा या पानी
- Low GI नाश्ता (पोहा, ओट्स, मूंग चीला, स्प्राउट्स)
- सुबह 20-30 मिनट की हल्की टहल
- तुलसी की 3-5 पत्तियां चबाएं
- दिन में 3 बार गहरी सांस लेकर तनाव कम करें
क्या न करें?
- मीठी चाय, जूस या पैक्ड फूड से दिन शुरू न करें
- ठंडा पानी खाली पेट न पिएं
- भारी नाश्ता या ब्रेड-बिस्कुट से बचें
- स्ट्रेस या गुस्से में सुबह का काम शुरू न करें
- भूखे पेट लंबे समय तक न रहें
वैज्ञानिक रूप से भी, सुबह का डॉन फेनॉमिनन (Dawn Phenomenon)—जिसमें कॉर्टिसॉल के कारण शुगर प्राकृतिक रूप से बढ़ती है—इस समय हल्की, संतुलित आदतों की आवश्यकता को और भी स्पष्ट करता है।
डॉ. मीना अग्रवाल कहती हैं, “स्वास्थ्य ही सच्चा धन है। और टाइप 2 डायबिटीज़ जैसी स्थिति में, हर सुबह एक नया अवसर है—सही आदतों से शुगर को स्थायी रूप से संतुलित करने का।”