जई – स्वास्थ्य के लिए अद्भुत अनाज
लेखक:
डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी
आगरा
जई (ओट्स) एक ऐसा अनाज है, जिसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें विटामिन ए, टोकोफेरॉल्स, कैफिक एसिड, सैपोनिन्स और घुलनशील फाइबर जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सभी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
जई के स्वास्थ्य लाभ:
हृदय स्वास्थ्य: जई का सेवन हृदय रोगों और उच्च रक्तचाप से बचाव करता है।
आंखों की रक्षा: यह मैक्युलर डिजेनरेशन और आंखों की अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
कैंसर से रक्षा: जई में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कई प्रकार के कैंसर से बचाते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: जई के सेवन से शरीर की प्राकृतिक रोग लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है।
एचआईवी वायरस: जई में मौजूद सैपोनिन्स एचआईवी वायरस के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण: घुलनशील रेशा बुरे कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल), मोटापा, डायबिटीज और यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है।
मस्तिष्क स्वास्थ्य: अमेरिका की दक्षिणी विश्वविद्यालय के शोध से पता चला है कि जई मस्तिष्क को शक्तिशाली बनाता है और स्मृति शक्ति में सुधार करता है।
आहार में जई कैसे शामिल करें?
जई को गेहूं के आटे में मिलाकर रोटी, दलिया या ओट्स के रूप में खाया जा सकता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभदायक है। इसका रेशा आंतों को स्वस्थ रखता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
त्वचा के लिए भी लाभदायक
जई में मौजूद तेल और अमीनो एसिड त्वचा की समस्याओं जैसे एक्जिमा, सोरायसिस और खुजली से छुटकारा दिलाते हैं। जई के आटे का उपयोग मास्क, उबटन या लोशन के रूप में करने से त्वचा साफ और चमकदार होती है।
शोध से पता चला:
अमेरिका के एक शोध में 50 लोगों को मलाईदार दूध दिया गया। इससे उनकी धमनियों में सिकुड़न आई और हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया। जब उन्हें कुछ दिनों तक जई का दलिया दिया गया, तो रक्त प्रवाह सामान्य हो गया। विटामिन ए के सप्लीमेंट्स लेने से यह प्रभाव नहीं दिखा।
लंबी आयु का रहस्य:
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया कि साबुत अनाजों का सेवन करने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 30-40% तक कम हो जाता है। साबुत अनाजों में फिनोल्स, लिग्नन्स, सैपोनिन्स और फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं, जो कैंसर से बचाते हैं।
जई का घुलनशील रेशा प्रोस्टेट कैंसर से भी लड़ने में मदद करता है। यह शरीर से नुकसानदायक हार्मोन्स और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।
स्वास्थ्य का महारहस्य:
हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी मजबूत होगी, हम उतनी आसानी से बीमारियों से लड़ सकेंगे। शुद्ध, सात्विक, जैविक आहार, योग, ध्यान और प्रकृति के पंचतत्वों से जुड़े रहने से मस्तिष्क तेज रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
आयु वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क में नए ऊतकों के आ जाने से मस्तिष्क नवजवान हो जाता है। ऐसे में इंद्रियाँ सक्रिय रहती हैं और बुढ़ापा दूर रहता है।
अंत में:
योग, प्राणायाम, ध्यान, सच्ची जागृति और संतुलित आहार ही न केवल लंबी आयु देते हैं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर ले जाते हैं।
हेल्थ इज़ वेल्थ
जई का सेवन – स्वास्थ्य का निवेश
लेखक: डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी
आगरा