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डॉक्टर मीना अग्रवाल: नाक-जुकाम-खांसी के प्राकृतिक उपचार |

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नेचुरोपैथी विशेषज्ञ की सलाह से स्वाभाविक स्वस्थ्य बहाल करें

आजकल हर घर में कोई-न-कोई नाक-जुकाम या खांसी की समस्या से जूझ रहा है। बुखार और बलगम का प्रकोप भी बढ़ा हुआ है। लोगों की मांग पर, मैंने इस विषय पर विस्तृत जानकारी देने का निर्णय लिया।

नाक-जुकाम क्या है?

जब नाक से पतला स्राव (बलगम) बाहर आता है, तो इसे “नजला जुकाम” कहा जाता है। इस स्थिति में आंखें लाल हो जाती हैं, सिर भारी लगता है, और स्वाद की ग्रहणशक्ति कमजोर हो जाती है। शरीर के रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है, क्योंकि नाक के माध्यम से पर्याप्त हवा नहीं मिल पाती।


कारण

  1. असंतुलित आहार : मैदा, कफ व वात बढ़ाने वाले भोजन का सेवन।
  2. कब्ज और पाचन समस्या : शरीर में विषाक्त पदार्थों का संचय।
  3. अपर्याप्त ऑक्सीजन : मुंह से सांस लेना, कम व्यायाम, ठंडे स्थानों में रहना।
  4. गलत जीवनशैली : पसीना नहीं निकालना, शरीर को आवश्यक ऊष्मा न देना।

गंभीर परिणाम

अगर इसे अनदेखा किया जाए, तो यह आंखों और कानों की कमजोरी, बालों का सफेद होना, झुर्रियां, दमा, ब्रोंकाइटिस या तपेदिक तक पहुंच सकता है।


प्राकृतिक उपचार

  1. नेति कर्म : नाक से नमकीन पानी निकालकर नासिका साफ करें (जल नेति या सूत्र नेति)।
  2. प्राणायाम : अनुलोम-विलोम, कपालभाति, और भस्त्रिका का अभ्यास करें।
  3. भाप सेक : सफेद सरसों के पत्तों की भाप लें।
  4. एनिमा : पेट साफ करने के लिए गुनगुने पानी का एनिमा लें।
  5. गरम पानी का स्नान : पैरों को गरम पानी से धोएं।
  6. योगासन : सूर्य नमस्कार, धनुरासन, हलासन, और मत्स्यासन करें।
  7. धूप में मालिश : छाती और पीठ पर धूप में मालिश करें।

आहार सुझाव

  1. गरम पानी + नींबू + शहद : दिन में 4 बार।
  2. सब्जी रस/सूप : 7 दिन तक फलों और सब्जियों के रस पीएं।
  3. जड़ी-बूटी चाय : अदरक, इलायची, काली मिर्च, अजवाइन की चाय दिन में 6-8 बार।
  4. खांसी के लिए : अदरक के रस में शहद मिलाकर दिन में 2 बार, मुलेठी चूसें।
  5. गंभीर मामले में : अगर खांसी 40 दिन से अधिक है, तो चेस्ट X-रे करवाएं और सितोपलादि चूर्ण लें।

स्वास्थ्य सलाह

इस प्रकार के आहार और जीवनशैली से 1-2 साल तक बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है। प्राकृतिक रोगों को संकेत के रूप में लें और अपनी आदतों में सुधार करें।

लेखक : डॉक्टर मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, आगरा
स्वास्थ्य की नीति : स्वास्थ्य ही धन है!


नोट: गंभीर स्थिति में डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

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