---Advertisement---

मानसिक स्वास्थ्य और विटामिन: एक प्राकृतिक चिकित्सा की ओर | मीना अग्रवाल, आगरा |

---Advertisement---

मानसिक स्वास्थ्य और विटामिन: एक प्राकृतिक चिकित्सा की ओर | मीना अग्रवाल, आगरा

हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को लेकर अभी भी बहुत से लोगों में गलत धारणाएँ हैं। “मानसिक रोग” – यह शब्द सुनते ही कई लोग डर जाते हैं या फिर उसे एक सामाजिक कलंक समझने लगते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज के समय में मानसिक बीमारियाँ बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। अस्पतालों में आधे से अधिक बिस्तर मानसिक रोगियों से भरे हुए हैं।

मानसिक स्वास्थ्य का संबंध खान-पान से है
अधिकांश लोगों का मानना है कि मानसिक बीमारियाँ केवल मनोवैज्ञानिक कारणों से होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य हमारे खान-पान और जीवनशैली से सीधे जुड़ा हुआ है। विकृत, अस्वास्थ्यकर और मिलावटी खाने का सेवन करने से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में इस बात को पहचाना गया है। वहाँ के वैज्ञानिकों ने अपने शोधों में साबित किया है कि विटामिनों, खनिजों और पौष्टिक आहार की कमी मानसिक बीमारियों का एक प्रमुख कारण हो सकती है।

विटामिन ‘बी’ की कमी और मानसिक रोग
उदाहरण के लिए, ‘पिलाग्रा’ नामक बीमारी विटामिन ‘बी’ की कमी से होती है, जिसके लक्षण मानसिक विकृतियों के रूप में भी प्रकट होते हैं। ऐसे रोगियों में अवसाद, भ्रम, उत्तेजना और अस्थिर मनोदशा देखने को मिलती है।

एक अध्ययन में 32 मानसिक रोगियों को विटामिन और खनिज से समृद्ध आहार दिया गया। उनमें से 13 में स्पष्ट सुधार दिखा और 19 में कुछ-कुछ सुधार देखा गया। इससे साबित हुआ कि उचित पोषण से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।

कुछ वास्तविक केस स्टडी:
75 वर्षीय महिला: 2 साल से बिस्तर पर थी, अवसाद में रहती थी। 1 महीने के पौष्टिक आहार से वह ठीक हो गई और बागवानी करने लगी।
18 वर्षीय युवक: मस्तिष्क शोथ के कारण वह स्कूल नहीं जा पाता था। विटामिन युक्त भोजन से वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
19 वर्षीय लड़की: अस्थिर मानसिक अवस्था में थी। 2 महीने के संशोधित आहार से उसमें आत्मविश्वास आया और नौकरी भी मिल गई।
स्वस्थ दिनचर्या का महत्व
मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक संतुलित दिनचर्या भी बहुत आवश्यक है:

10:00 बजे – नाश्ता
11:30 बजे – फल
12:30 बजे – सलाद
01:00 बजे – दोपहर का भोजन + छाछ/दही (चीनी के साथ)
04:00 बजे – मखाना / चना / हर्बल चाय
07:00 बजे – रात का भोजन (सूप, रोटी, सब्जी)
निष्कर्ष
मानसिक रोग बस मनोवैज्ञानिक नहीं होते, बल्कि ये शारीरिक और पोषण संबंधी कारणों से भी हो सकते हैं। विटामिन और पौष्टिक तत्वों से समृद्ध आहार से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है। आइए, हम अपने खान-पान और जीवनशैली में सुधार करके न केवल अपना बल्कि अपने परिवार का स्वास्थ्य भी बेहतर बनाएँ।

“स्वास्थ्य ही धन है”
— मीना अग्रवाल , आगरा
(नेचुरोपैथी विशेषज्ञ)

यह लेख स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी बीमारी के लिए चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

Join WhatsApp

Join Now

---Advertisement---