आगरा, 31 अक्टूबर 2025 — आज के समय में, जहाँ प्रोटीन की कमी शाकाहारियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, वहीं सोयाबड़ी (जिसे सोया चंक्स या सोया नगेट्स भी कहा जाता है) एक सस्ता, स्वादिष्ट और अत्यंत पौष्टिक विकल्प साबित हो रही है। नेचुरोपैथ और आयुर्वेदिक चिकित्सा की जानकार डॉ. मीना अग्रवाल के अनुसार, यह न केवल प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत है, बल्कि आयुर्वेद में इसे “बल्य आहार” – शरीर को ताकत देने वाला भोजन – माना गया है।
निर्माण प्रक्रिया:
सोयाबड़ी सोयाबीन से निकले डी-ऑयल्ड सोया फ्लोर से बनाई जाती है। इसे उच्च तापमान व दबाव में पकाकर छोटे टुकड़ों में ढाला जाता है, जिसे सुखाकर बाजार में बेचा जाता है। इस्तेमाल से पहले इसे पानी में भिगोना आवश्यक है, जिससे यह नरम हो जाती है और पाचन आसान हो जाता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
डॉ. मीना अग्रवाल बताती हैं कि आयुर्वेद में सोयाबड़ी के गुण इस प्रकार हैं:
रस: मधुर
गुण: गुरु (भारी), स्निग्ध (तैलीय)
वीर्य: उष्ण
प्रभाव: मांस व शुक्र धातु को पुष्ट करती है, वात शामक है, परंतु अधिक मात्रा में पित्त बढ़ा सकती है।
प्रमुख स्वास्थ्य लाभ:
52% प्रोटीन – जिम जाने वालों, बच्चों और वीगन्स के लिए आदर्श।
हड्डियों के लिए फायदेमंद – कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन से भरपूर।
हार्मोनल संतुलन – मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के लिए लाभदायक।
वजन प्रबंधन – भूख नियंत्रित करके कैलोरी सेवन कम करती है।
हृदय स्वास्थ्य – कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक।
उपयोग के तरीके:
सब्जी, पुलाव, कटलेट, सूप या भरवां पराठे – सोयाबड़ी को कई तरह से घर के खाने में शामिल किया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल विशेष रूप से “बलवर्धन खिचड़ी” (मूंग दाल, चावल, सोयाबड़ी और घी से बनी) की सलाह देती हैं, जो पाचन में हल्की और शारीरिक ताकत बढ़ाने वाली है।
आयुर्वेदिक सावधानियाँ:
अधिक मात्रा में न लें (पित्त वृद्धि या गैस की समस्या हो सकती है)।
थायराइड रोगियों को सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
हमेशा भिगोकर पकाएँ।
निष्कर्ष:
डॉ. मीना अग्रवाल कहती हैं, “सोयाबड़ी केवल एक सस्ती सब्जी नहीं, बल्कि एक सुपरफूड है जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए फायदेमंद है। जब इसे संतुलित मात्रा और सही तरीके से लिया जाए, तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक बल दोनों को बढ़ाती है।”
डॉ. मीना अग्रवाल
नेचुरोपैथ | आयुर्वेदिक चिकित्सक
आगरा, उत्तर प्रदेश