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विटामिन डी की कमी और उपाय: नेचुरोपैथी विशेषज्ञ मीना अग्रवाल की सलाह”

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मीना अग्रवाल
नेचुरोपैथी
विटामिन डी से संबंधित कुछ बातें
विटामिन डी का आविष्कार विड्स ने किया था
विटामिन ए की तरह विटामिन डी भी तेल और वसा में घुल जाता है पर पानी में नहीं घुलता
जिन पदार्थों में विटामिन ए रहता है विशेषकर उन्ही में विटामिन डी भी विद्यमान रहता है
मछली के तेल में विटामिन डी अधिक होता है
विटामिन डी की कमीज के कारण आंतें कैल्शियम तथा फासफोरस को चूस कर रक्त में शामिल नहीं कर पाते हैं
सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी रहता है कुछ चिकित्सक घावो फोडो तथा रसौलियों की चिकित्सा रूप में प्रकाश से करते हैं
सुबह सूर्य के प्रकाश में धूप में सरसों के तेल की मालिश पूरे शरीर पर की जाए तो विटामिन डी पूरे शरीर में मिल जाता है
सौर ऊर्जा में बने भोजन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी उपलब्ध होता है
भोजन को थोड़ी देर सूर्य के प्रकाश में रखने से उसमें भी विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में आ जाता है
चर्म रोग में विटामिन डी बहुत उपयोगी है
इसलिए स्कीन के रोग धूप लगने से भी ठीक हो जाते हैं
विटामिन डी मजबूत दांतों के लिए भी जरूरी है
विटामिन डी की कमी से हड्डियां मुलायम हो जाती हैं मजबूत नहीं रहती
विटामिन डी की कमी से त्वचा ड्राई हो जाती है
जो लोग अंधेरों में ज्यादा रहते हैं उनमें विटामिन डी की कमी रहती है वह चिड़चिड़े और अवसाद के मरीज हो सकते हैं
विटामिन डी की कमी से पीठ C के आकार जिसे कूबड़ निकल जाता है
विटामिन डी की कमी से पेड़ों और पीठ की हड्डी मुड़ जाती है
ठंडे देशो के लोगों में ज्यादातर विटामिन डी की कमी होती है
श्वास के रोगी को धूप में रहना बहुत जरूरी है
विटामिन डी के कारण दांतों में कीड़ा नहीं लगता
इसकी कमी से हड्डियों में भी स्वेलिंग आ जाती है
गर्म देश होने के बाद भी भारत में लोगों में ज्यादातर कमजोर अस्थियों का रोग पाया जाता है
बच्चे की खोपड़ी की हड्डियां 3 महीने बाद भी नरम रहे तो समझना होगा कि विटामिन डी की कमी हो रही है
विटामिन डी की प्रचुर मात्रा शरीर में रहने के कारण चेहरे पर ग्लो रहता है
पर्दे में रहने वाली स्त्रियां विटामिन डी की कमी की शिकार रहती है
भारत में विटामिन डी की पूर्ति के लिए बच्चों को बचपन से ही मछली का तेल पिलाना चाहिए
दूध पिलाने वाली माता को विटामिन डी की ज्यादा आवश्यकता होती है
पति को जवानी बचपन बुढ़ापे में भी मछली के तेल का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि विटामिन डी मिलता रहे
इसकी कमी से जोड़ों में दर्द व जरा सा भी गिरे तुरंत हड्डी टूटने का डर रहता है
विटामिन डी की कमी से बच्चों की खोपड़ी बड़ी हो जाती है
शरीर में विटामिन डी की कमी से सीढ़ियां चढ़ने पर रोगी को कष्ट होता है
शीतपित्त रोग के पीछे विटामिन डी की कमी होती है इसमें रोगी को विटामिन डी की दवाई भी दी जाती है
इसकी कमी को दूर करने के लिए कच्चा अंडा का प्रयोग करना चाहिए
विटामिन डी सब्जियों में नहीं होता अंडा मक्खन दूध कलेजी से विटामिन डी ज्यादा मात्रा में होता है
ग्रामीण लोगों में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है
शहरी लोगों में विटामिन डी की कमी ज्यादा होती है
हमेशा हमें ध्यान रखना चाहिए विटामिन डी हमेशा हमें लेते रहना चाहिए सूर्य की किरणों और खान-पान के द्वारा
मीना अग्रवाल
आगरा

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