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आगरा से अखिलेश का बड़ा दांव: सामाजिक न्याय की नई लड़ाई, पीडीए को बनाया हथियार |

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आगरा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सामाजिक न्याय की नई क्रांति का बिगुल फूंकते हुए भाजपा पर सीधा हमला बोला। उन्होंने शनिवार को स्पष्ट कर दिया कि 2027 का चुनाव ‘अगड़ा बनाम पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के एजेंडे पर लड़ा जाएगा। अखिलेश ने आगरा को सामाजिक न्याय की लड़ाई का नया केंद्र बनाने का आह्वान किया और कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया।

उन्होंने कहा कि आगरा में सपा कार्यकर्ता संकल्प लें कि यहां से एक नई वैचारिक क्रांति की शुरुआत होगी। उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीडीए वर्ग पर लगातार अन्याय और दमन किया गया है। वहीं, बाबा साहब आंबेडकर के संविधान को उन्होंने पीडीए वर्ग की रक्षा का सबसे बड़ा हथियार बताया।

आगरा की नौ विधानसभा सीटों में 15 लाख से अधिक दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक मतदाता हैं। यहां अब तक सपा को खास सफलता नहीं मिली है—बाह सीट को छोड़कर पार्टी कभी भी बाकी आठ सीटें नहीं जीत पाई। हालांकि, 2022 में सपा, कांग्रेस और रालोद के गठबंधन ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था, जिससे छह सीटों पर गठबंधन दूसरे स्थान पर रहा।

हालिया राणा सांगा विवाद के बाद सपा, सुमन को एक उभरते दलित चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है और दलित समुदाय को साधने की रणनीति में जुटी है। सपा सांसद के आवास पर हुए हमले को भी ‘दलित नेता के घर पर हमला’ बताकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। पार्टी अब गैर-यादव पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के बीच भी अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है।

महापुरुषों पर टिप्पणी से बचने की हिदायत
अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिए कि वे महापुरुषों पर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचें। उन्होंने कहा कि इतिहास को इतिहास रहने दिया जाए, क्योंकि उसमें कई बातें ऐसी होती हैं, जो दोनों पक्षों को असहज कर सकती हैं।

अखिलेश के आगमन पर आगरा, मथुरा, हाथरस, इटावा और मेरठ से सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी बड़ी संख्या में जुटे, जिससे साफ है कि पार्टी ने आगरा को आने वाले चुनावों के लिए विशेष रणनीतिक केंद्र बना लिया है।

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