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“ठगी पीड़ितों की आवाज़: एजेंट्स पर झूठे मुकदमे और भुगतान में देरी पर संगठनों का विरोध तेज”

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(रिपोर्टर: अंकित पाल, मुरादाबाद):

ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार (रजि.)
रजिस्ट्रेशन नंबर : 241/2022
केंद्रीय कार्यालय: I-2, 157/42, मदनगीर, नई दिल्ली – 110062
राष्ट्रीय संयोजक एवं संस्थापक: श्री मदनलाल आजाद
ईमेल: yugantarnews@gmail.com

दिनांक: 9 अप्रैल 2025
पत्र संख्या: 219
प्रेषित: जिलाधिकारी, बिजनौर के माध्यम से
प्रति: महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश), पुलिस महानिदेशक (उत्तर प्रदेश)

विषय: निर्दोष एजेंट्स को झूठे मुकदमों से बचाने, पीड़ितों को भुगतान दिलाने एवं न्याय दिलाने हेतु ज्ञापन।

संगठन “ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार (TP.JP)” द्वारा यह ज्ञापन सरकार व प्रशासन के संज्ञान में लाया जा रहा है कि देशभर में चल रही पोंजी योजनाओं एवं जमा योजनाओं के तहत करीब 3 लाख कंपनियों, सोसाइटीज, निधियों आदि को बंद किया गया है। इसके पश्चात संसद द्वारा Buds Act 2019 पारित कर ठगी से पीड़ित नागरिकों को उनके जमा धन का 2 से 3 गुना तक भुगतान करने का प्रावधान किया गया।

हालांकि, आज तक करोड़ों पीड़ितों को न तो भुगतान मिला और न ही सेबी, परिसमापक, उपभोक्ता मंच या अन्य प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कोई ठोस कार्यवाही की गई। इसके चलते कई पीड़ितों ने आत्महत्या जैसे घातक कदम तक उठाए।

Buds Act के अंतर्गत जिलाधिकारी और मंडलायुक्तों को “जमाकर्ता हित संरक्षण अधिकारी” का दायित्व सौंपा गया था। इन अधिकारियों को 180 दिन के भीतर दावों का निस्तारण कर भुगतान सुनिश्चित करना था, परन्तु ज़मीनी स्तर पर न ही आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं और न ही पहले से दाखिल आवेदनों पर कोई कार्यवाही हो रही है।

इस निष्क्रियता और भ्रष्ट तंत्र के कारण एजेंट्स और निवेशकों के बीच कई जगहों पर हिंसक संघर्ष की स्थिति बन चुकी है। साथ ही, IPC की नई धारा 111 का दुरुपयोग कर एजेंट्स को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है, जिससे वे मानसिक तनाव और भय के चलते आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।

हम संगठन की ओर से यह स्पष्ट मांग करते हैं कि:

  1. Buds Act 2019 के तहत पुनः भुगतान पटल खोले जाएं।
  2. पहले से दाखिल आवेदनों पर शीघ्र कार्यवाही हो।
  3. निर्दोष एजेंट्स को झूठे मुकदमों से बचाया जाए।
  4. IPC 111 और BNS 107 के तहत जिलाधिकारियों को उनके दायित्वों की याद दिलाई जाए और ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

यह ज्ञापन एक चेतावनी स्वरूप भी है, यदि शीघ्र ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन को मजबूरन अपनाना पड़ेगा।

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