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वक्फ बिल पर मौलाना मदनी ने कहा: धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं बर्दाश्त की जाएगी |

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नई दिल्ली, 16 अप्रैल – वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने धार्मिक मामलों में किसी भी तरह की दखलअंदाजी का विरोध किया है।

मदनी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “मुसलमान अपने धार्मिक मामलों में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी नहीं बर्दाश्त कर सकते। इस कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।”

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई 73 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा और इसे संविधान का उल्लंघन बताया। सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्नवनाथन ने वक्फ कानून को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। 

मौलाना मदनी का इस आर्टिकल को थोड़ा संशोधित करके हिंदी न्यूज़ पोर्टल के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है। यहाँ एक संशोधित संस्करण दिया गया है:

वक्फ बिल पर मौलाना मदनी ने कहा: धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं बर्दाश्त की जाएगी

नई दिल्ली, 16 अप्रैल – वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने धार्मिक मामलों में किसी भी तरह की दखलअंदाजी का विरोध किया है।

मदनी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “मुसलमान अपने धार्मिक मामलों में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी नहीं बर्दाश्त कर सकते। इस कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।”

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर की गई 73 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा और इसे संविधान का उल्लंघन बताया। सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्नवनाथन ने वक्फ कानून को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। 

मौलाना मदनी का बयान 

मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा, “यह कानून देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस बिल का फायदा उठाकर सांप्रदायिक ताकतें देश की शांति और एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

केंद्र सरकार का तर्क 

दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने इस कानून को पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार के लिए जरूरी कहा है। सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ प्रशासन को और बेहतर बनाने के लिए है। 

न्याय की उम्मीद

मदनी ने कहा, “जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने न केवल वक्फ संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है, बल्कि कानून को लागू होने से रोकने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है। उम्मीद है कि अदालत से न्याय मिलेगा।” 

अगली सुनवाई 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर कोलकाता में हो रही हिंसा पर भी चिंता जताई। अंतरिम आदेश पास करने पर गुरुवार को दोपहर 2 बजे फिर से सुनवाई होगी। 

वक्फ कानून का विवाद 

वक्फ कानून लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को देशभर में लागू कर दिया गया था। इस कानून के विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की मांग है कि अंतिम फैसला आने तक इस पर रोक लगाई जाए। 

मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा, “यह कानून देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करता है।” उन्होंने चेतावनी दी कि इस बिल का फायदा उठाकर सांप्रदायिक ताकतें देश की शांति और एकता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 

केंद्र सरकार का तर्क 

दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने इस कानून को पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार के लिए जरूरी कहा है। सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ प्रशासन को और बेहतर बनाने के लिए है। 

न्याय की उम्मीद 

मदनी ने कहा, “जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने न केवल वक्फ संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है, बल्कि कानून को लागू होने से रोकने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया है। उम्मीद है कि अदालत से न्याय मिलेगा।” 

अगली सुनवाई 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर कोलकाता में हो रही हिंसा पर भी चिंता जताई। अंतरिम आदेश पास करने पर गुरुवार को दोपहर 2 बजे फिर से सुनवाई होगी। 

वक्फ कानून का विवाद 

वक्फ कानून लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को देशभर में लागू कर दिया गया था। इस कानून के विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं की मांग है कि अंतिम फैसला आने तक इस पर रोक लगाई जाए। 

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