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गल ग्रंथि (टॉन्सिल) स्वास्थ्य पर पड़ता है सीधा प्रभाव – जानें घरेलू उपचार और आहार | डॉ. मीना अग्रवाल |

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🩺 गल ग्रंथि (टॉन्सिल): स्वास्थ्य के प्रति इसकी महत्वता और नैचुरोपैथिक उपचार
लेखक: डॉ. मीना अग्रवाल, नैचुरोपैथी चिकित्सक, आगरा

गल ग्रंथि (टॉन्सिल) हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसका बढ़ जाना, सिकुड़ना या ठीक से काम न करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह ग्रंथि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक विकसित होती है और इसके सही कार्य न करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

🔍 गल ग्रंथि का महत्व:
इस ग्रंथि से निकलने वाले स्राव का मस्तिष्क और शारीरिक विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यदि यह स्राव अपर्याप्त हो या बिल्कुल न बने तो बच्चा मानसिक रूप से कमजोर या मंदबुद्धि हो सकता है। शरीर दुबला-पतला रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।

💊 गल ग्रंथि में विकृति के लक्षण:
स्त्रियों में मोटापा
त्वचा में रूखापन और भारीपन
बालों का झड़ना
स्मृति कमजोरी
शरीर का तापमान कम रहना
चिड़चिड़ापन
अगर ग्रंथि अधिक काम करे तो:

हृदय की धड़कन तेज
एनीमिया
थकान और हल्का बुखार
⚠️ अगर ग्रंथि को काट दिया जाए:
व्यक्ति मोटा हो सकता है
हड्डियां कमजोर व छोटी बनती हैं
शरीर में विषैले पदार्थ जमा हो सकते हैं
शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है
🌱 कारण:
अधिक गर्म या ठंडी चीजों का सेवन
खट्टी चीजें
चॉकलेट, चॉकलेट गोलियां
पेट की गड़बड़ी या कब्ज
🧘‍♀️ उपचार (नैचुरोपैथिक तरीके):
नेति क्रिया : रोजाना जल नेति का अभ्यास करें।
गरारा : फिटकरी के पानी से सुबह-शाम गरारा करें।
घी डालें : नाक में गर्म घी की कुछ बूंदें डालें।
गले की सेंक : 5 मिनट गर्म सेंक दें, फिर 30 मिनट ठंडी पट्टी बांधें।
मालिश : तेल से हल्की मालिश करें।
ठंडी पट्टी पेट पर : 2 घंटे या रात भर के लिए।
🙏 आसन और प्राणायाम:
भुजंगासन, घनुरासन, मकरासन, हलासन, मत्स्यासन, ग्रीवा चालनासन
सिंहासन (जीभ बाहर निकालकर 5 बार दहाड़ना)
उज्जाई और भ्रामरी प्राणायाम (सुबह-शाम)
🥦 आहार सलाह:
आयोडीन और विटामिन ‘ई’ युक्त आहार लाभदायक है।
गेहूं का अंकुर, टमाटर, गाजर, किशमिश, मुनक्का, अंगूर
7 दिनों तक: गाजर, खीरा, पेठा का रस + शहद युक्त किशमिश, अंगूर और संतरे का रस
अंकुरित गेहूं का पेय: 20-30 ग्राम अंकुरित गेहूं + केला + किशमिश + दूध + थोड़ा पानी = मिक्सी में ब्लेंड कर सुबह-शाम पिएं।
फल और सब्जियों के रस, सलाद, कम रोटी लें।
सर्दियों में पेय को गर्म पानी से थोड़ा गर्म करके भी ले सकते हैं।
2 महीने (60 दिन) तक ऐसा आहार जारी रखें।
❌ बचने वाली चीजें:
बर्फ, आइसक्रीम, अचार, चटनी, खट्टे फल
✨ स्वास्थ्य ही धन है!
गल ग्रंथि की स्वस्थता हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। नैचुरोपैथिक उपचार, योग, आहार और स्वस्थ जीवनशैली से इसे संतुलित रखा जा सकता है।

लेखक:
डॉ. मीना अग्रवाल
नैचुरोपैथी चिकित्सक
आगरा

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