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चना – प्राचीन ज्ञान और आधुनिक स्वास्थ्य में रहस्यमय ताकतलेखक: डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी एक्सपर्टस्रोत: |

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चना (Chana) कई सदियों से भारतीय घरों की थाली का अभिन्न अंग रहा है। यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अद्वितीय हैं। नेचुरोपैथी और आयुर्वेद में चने को ‘टॉनिक’ की तरह माना जाता है, जो शरीर के सभी तंत्रों को संतुलित रखता है।

चना – ऊर्जा और पोषण का स्रोत
चना एक ऐसा अनाज है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और खनिज लवण समृद्ध मात्रा में मौजूद होते हैं। अंकुरित चना विशेष रूप से विटामिन ‘ए’, ‘बी-कॉम्प्लेक्स’, ‘सी’ के साथ एंजाइम्स से भरपूर होता है।

“जो चना चबाता है, वह हमेशा स्वस्थ रहता है” – यह कहावत बिल्कुल सच है।

चने के प्रकार और उनके गुण
काला चना : यह छोटे आकार का और अधिक पौष्टिक होता है।
काबुली चना : यह बड़े आकार का, सफेद रंग का और अधिकांशतः पश्चिमी देशों में उपयोग होता है।
दोनों ही प्रकार के चनों में पोषण मूल्य समान रूप से मौजूद होते हैं।

चने के स्वास्थ्य लाभ
हृदय रोगों में लाभ : भींगे या अंकुरित चने में मौजूद घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
मधुमेह नियंत्रण : चना ग्लाइसेमिक इंडेक्स को संतुलित रखता है।
कब्ज निवारण : चने का छिलका रक्तशोधक और कब्जनिवारक गुणों से भरपूर है।
त्वचा स्वास्थ्य : चने के बेसन का उबटन त्वचा को निखारता है।
आंखों की समस्याओं में लाभ : भींगे चने का पानी आंखों में डालने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।
जलन, घाव, मुँहासों पर लेप : 12 घंटे पहले भीगे चनों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
चने के आहारिक उपयोग
अंकुरित चना : 30–50 ग्राम चना रात को भिगोएं, सुबह नींबू और शहद मिलाकर पानी पिएं।
चने का साग : यह विटामिन ‘बी’, ‘सी’, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम से समृद्ध होता है।
चने की रोटी (अजवायन + पालक) : जुकाम, खांसी, कफ और मधुमेह में लाभकारी।
चना और आयुर्वेदिक चिकित्सा
काला चना + त्रिफला चूर्ण : 35 ग्राम चना और 20 ग्राम त्रिफला चूर्ण को भिगोकर अंकुरित करके 3 महीने तक लेने से सफेद कुष्ठ और त्वचा रोगों में लाभ।
चने का काढ़ा : गर्भपात, यकृत, प्लीहा और गुर्दे की बीमारियों में लाभकारी।
सावधानियां
अत्यधिक उपयोग न करें : ज्यादा खाने से गैस, पेट दर्द, सूजन हो सकती है।
नमक से बचें : चने के साथ अधिक नमक न खाएं।
उबला हुआ चना खाएं : कच्चा चना पाचन पर भार डाल सकता है।

ऑर्गेनिक हेल्थ एक्सपर्ट सीरीज़: चना – आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के अद्भुत फायदे | Dr. Meena Agarwal, Naturopathy Expert .

चना – प्राचीन ज्ञान और आधुनिक स्वास्थ्य में रहस्यमय ताकत
लेखक: डॉ. मीना अग्रवाल, नेचुरोपैथी एक्सपर्ट
स्रोत: Natur Pathy Wellness Portal

चना (Chana) कई सदियों से भारतीय घरों की थाली का अभिन्न अंग रहा है। यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अद्वितीय हैं। नेचुरोपैथी और आयुर्वेद में चने को ‘टॉनिक’ की तरह माना जाता है, जो शरीर के सभी तंत्रों को संतुलित रखता है।

चना – ऊर्जा और पोषण का स्रोत
चना एक ऐसा अनाज है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और खनिज लवण समृद्ध मात्रा में मौजूद होते हैं। अंकुरित चना विशेष रूप से विटामिन ‘ए’, ‘बी-कॉम्प्लेक्स’, ‘सी’ के साथ एंजाइम्स से भरपूर होता है।

“जो चना चबाता है, वह हमेशा स्वस्थ रहता है” – यह कहावत बिल्कुल सच है।

चने के प्रकार और उनके गुण
काला चना : यह छोटे आकार का और अधिक पौष्टिक होता है।
काबुली चना : यह बड़े आकार का, सफेद रंग का और अधिकांशतः पश्चिमी देशों में उपयोग होता है।
दोनों ही प्रकार के चनों में पोषण मूल्य समान रूप से मौजूद होते हैं।

चने के स्वास्थ्य लाभ
हृदय रोगों में लाभ : भींगे या अंकुरित चने में मौजूद घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
मधुमेह नियंत्रण : चना ग्लाइसेमिक इंडेक्स को संतुलित रखता है।
कब्ज निवारण : चने का छिलका रक्तशोधक और कब्जनिवारक गुणों से भरपूर है।
त्वचा स्वास्थ्य : चने के बेसन का उबटन त्वचा को निखारता है।
आंखों की समस्याओं में लाभ : भींगे चने का पानी आंखों में डालने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।
जलन, घाव, मुँहासों पर लेप : 12 घंटे पहले भीगे चनों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
चने के आहारिक उपयोग
अंकुरित चना : 30–50 ग्राम चना रात को भिगोएं, सुबह नींबू और शहद मिलाकर पानी पिएं।
चने का साग : यह विटामिन ‘बी’, ‘सी’, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम से समृद्ध होता है।
चने की रोटी (अजवायन + पालक) : जुकाम, खांसी, कफ और मधुमेह में लाभकारी।
चना और आयुर्वेदिक चिकित्सा
काला चना + त्रिफला चूर्ण : 35 ग्राम चना और 20 ग्राम त्रिफला चूर्ण को भिगोकर अंकुरित करके 3 महीने तक लेने से सफेद कुष्ठ और त्वचा रोगों में लाभ।
चने का काढ़ा : गर्भपात, यकृत, प्लीहा और गुर्दे की बीमारियों में लाभकारी।
सावधानियां
अत्यधिक उपयोग न करें : ज्यादा खाने से गैस, पेट दर्द, सूजन हो सकती है।
नमक से बचें : चने के साथ अधिक नमक न खाएं।
उबला हुआ चना खाएं : कच्चा चना पाचन पर भार डाल सकता है।

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